दोआबा
समय से संगत
जनवरी-मार्च 2022
वर्ष 16 : अंक 40
[ विशेष : नीलम नील की नायाब कथा डायरी ]
अनुक्रम
अपनी बात
स्मृति विशेष
अमिता पॉल
अमिता रश्मि
भगवती प्रसाद द्विवेदी
मुकेश प्रत्यूष
कथा डायरी/ उपन्यास
आंगन में आग/ नीलम नील
अहिल्या आख्यान/ नीलम नील
नीलम नील की कविताएं
दो शब्द
नीलम नील की कविता-
अगर किसी दिन तुम्हारा
रोने को मन करे
तो मुझे बुला लेना
साथ मिलकर रोयेंगे
मन हल्का करेंगे
अगर किसी दिन तुम्हारा
मन किसी की बात सुनाने का न हो
तो मुझे बुला लेना
मेरी खामोशी हमेशा तुम्हारे साथ रहेगी
अगर किसी दिन तुम मुझे बुलाओ
और कोई जबाव न मिले
तो तुम आ जाना
शायद मुझे तुम्हारी जरुरत हो
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संपादक : जाबिर हुसेन
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